मोर पर निबंध (1000 Word
प्रस्तावना
मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है, जो दिखने में बहुत ही सुंदर होता है और जब मोर नाचता है तो प्रकृति में और भी ज्यादा सुन्दरता फैला देता है। मोर में सभी रंग समाहित होते हैं।
मोर की सुन्दरता
हमारी प्रकृति में कई सारे पक्षी आये जाते हैं। सभी पक्षी अपनी सुन्दरता और अपनी बनावट के कारण सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन्हीं पक्षियों में सबसे सुंदर पक्षी मोर है। इसकी सुन्दरता बाकि पक्षियों की तुलना से कई गुना अच्छी और लोगों को अपनी तरफ मोहित करने वाली है। इस कारण मोर को पक्षियों का राजा भी कहा जाता है।
जब असमान में काले बादल छा जाते हैं और बारिश का मौसम होता है वो मौसम मोर का बहुत ही पसन्द का मौसम होता है। इस मौसम में मोर अपने पंख फैलाकर नाचते हैं। जब मोर नाचते है तो वो अपने सभी पंख फैलते है और उन पंखों की आकृति आधे चाँद समान लगती है। मोर को प्राकृतिक आपदा का पहले ही आभास हो जाता है और आपदा से पहले वो जोर जोर से बोलने लगते हैं। मोर की आवाज 2 किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकती है। इनकी आवाज कर्करा भरी होती है।
ये शर्मीले पक्षी होते हैं और मोर आबादी क्षेत्र से दूर रहना ही पसंद करते हैं। ज्यादातर मोर जंगलों में ही पाए जाते हैं। कभी कभी मोर अपने भोजन को तलाशते हुए आबादी में आ जाते हैं। मोर पेड़ों की सबसे ऊंची डालियों पर बैठना पसंद करते हैं।
मोर भारत के हर राज्य में पाया जाता है। ये ज्यादातर हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उतरप्रदेश और मध्यप्रदेश में पाया जाता है। मोर भारत के अलावा और भी कई देशों में पाया जाता है। मोर ज्यादातर शुष्क क्षेत्रों में रहना पसंद करते हैं। मोर भारत का राष्ट्रिय पक्षी है। मोर को भारत का राष्ट्रिय पक्षी 26 जनवरी 1963 में घोषित किया गया था।
मोर का वजन दूसरे पक्षियों की तुलना में काफी ज्यादा होता है। मोर का वजन 5 से 10 किलो तक हो सकता है। मोर के पंख बहुत लम्बे और घने होते हैं। इनके पंख छोटी-छोटी पंखुड़ियों से मिलकर बने होते हैं। वजन ज्यादा होने के कारण ये ज्यादा उड़ नहीं पाते।
मोर के पंख में हरा, नीला, बैंगनी, पीला आदि रंग होते हैं। मोर की पंख में चाँद जैसी आकृतियां बनी होती हैं जो मोर को और भी सुन्दर बना देती हैं। मोर के पंख के अंतिम छोर पर एक चाँद जैसी आकृति होती हैं जिसमें सभी रंग मौजूद होते हैं। मोर के पंख मखमल के कपड़े जैसे मुलामय और सुंदर होते हैं।

इनकी की आंखे छोटी होती है। मोर के सिर पर छोटे-छोटे पंखों का ताज बना होता है, जिससे वो बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। मोर का पैर बहुत ही पतले होते हैं। इनका रंग मटमैला होता है। मोर के पैर बहुत मजबूत होते हैं। मोर के पैरों पर एक कांटा उगा होता है जो उसकी शिकार में मदद करता है और लड़ाई में भी मोर का साथ देता है। मोर का शरीर जितना आकर्षक होता है। उसमें पैर ही ऐसे होते हैं जो ज्यादा आकर्षक नहीं होते।
मोर का भोजन
खाने के रूप में मोर सर्वाहारी है। मोर अपने खाने में फल और सब्जियों को खाता है। मोर इसके अलावा भी कीड़े-मकोड़े, छिपकली, चूहों और सांपों को खाता है। मादा मोर सांप का शिकार नहीं कर सकती है।
मोर का संरक्षण कानून
बाजार में मोर के पंखों की कीमत अधिक रहती है। मोर के पंख हर साल नये आते हैं। मोर के पंखो से हवा खाने के लिए पंखा, फूलों का गुलदस्ता और कई सारी जडी-बुटी भी बनाई जाती है। इस कारण मोर के पंखों की कीमत बाजार में ज्यादा है।
मोर के पंखों की कीमत ज्यादा होने के कारण लोग इसका शिकार करने लगे और इसके पंखों को बाजार में बेचने लगे। धीरे-धीरे मोरों की संख्या में कमी आने लगी। तब भारत सरकार ने वन्य अधिनियम 1972 के तहत मोर के शिकार (Peacock Matter) पर रोक लगा दी। रोक लगाने के बाद भी यदि कोई मोर का शिकार करता है तो उसको जुर्माने के साथ सजा दी जाती है। ये कानून मोरों की संख्या में वृद्धि करने के लिए बहुत ही जरूरी है। इस कानून के बाद भारत में मोरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
मादा मोर और नर मोर में अंतर
मोर दिखने में बहुत ही आकर्षक होता है लेकिन मोरनी मोर जितनी आकर्षित नहीं होती है। मोरनी का आकार मोर से छोटा होता है और ये मोर जितना शिकार भी नहीं कर पाती है। मोरनी के पंख मोर से थोड़े छोटे है। मोरनी के शरीर का निचला हिस्सा मैला सा होता है और पैरों का रंग मटमैला होता है।
मोर की प्रजाति
पूरे संसार में मोर की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिसमें भारत में पाई जाने वाली प्रजाति सबसे सुन्दर प्रजाति है। इस प्रजाति के मोर ज्यादातर भारत में ही पाए जाते हैं। मोर को विश्व का सबसे सुंदर पक्षी भी कहा जा सकता है। जैसी मोर की सुन्दरता होती है किसी और पक्षी की नहीं हो सकती है। मोर जितना सुंदर होता है उतना ही सुंदर नृत्य भी करता है।
मोर का प्रजनन
एक नर मोर दो से पांच मादा मोर के साथ सम्बन्ध बनाता है। इनमें से प्रत्येक मादा मोर 6 से 7 अंडे देती है। मादा मोर अपने अंडे जमीन में गड्डा करके जमीन के अन्दर देती है। मादा मोर साल में दो बार अंडे देती है। अण्डों से बच्चों को निकलने में 25 से 30 दिन का समय लगता है। इनमें से कुछ बच्चे ही बड़े हो पाते हैं। क्योंकि कुछ जब छोटे होते हैं तो जंगली जानवरों का शिकार बन जाते हैं।
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